The best Side of Shodashi
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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
The essence of those rituals lies within the purity of intention along with the depth of devotion. It's not at all merely the external actions but the internal surrender and prayer that invoke the divine existence of Tripura Sundari.
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।
दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।
She's also known as Tripura simply because all her hymns and mantras have three clusters of letters. Bhagwan Shiv is considered to become her consort.
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
Shodashi’s affect promotes intuition, encouraging devotees accessibility their interior knowledge and produce have confidence in in their instincts. Chanting her mantra strengthens intuitive skills, guiding people today towards choices aligned with their best very good.
कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया
Kama, the incarnation of sexuality and physical adore, had attempted to distract Shiva from his meditations. Consequently, Shiva burned him to ashes with a more info stream of fire from his 3rd eye, and effectively this means attendants to